Subscribe Us

इन तरीकों से अपने टूटे रिश्ते को जोड़ सकते हैं आप, पहले समझने होंगे ये तीन संकेत



नोखी आवाज़ न्यूज़ ।  रिश्ते जितनी मुश्किल से जुड़ते हैं उतना ही मुश्किल होता है उन्हें सहेजना। तोड़ने के लिए पल भर ही काफी है, किसी कड़वी बात पर या मामूली सी गलतफहमी रिश्ते को गंभीर मोड़ पर लाकर खड़ी कर सकती है। और जब वो मोड़ आता है तो लोगों को पता भी नहीं चलता और रिश्ते टूट जाते हैं। अगर समय रहते पता चल जाए कि आपके रिश्ते की डोर कमजोर होती जा रही है तो इन गलतियों को सुधारा जा सकता है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि रिश्ते केवल टूटते ही नहीं है बल्कि उन्हें जोड़ना भी हमारे ही हाथ में है। लेकिन इसके लिए केवल इमानदारी और धैर्य की जरूरत होती है। पढ़ते हैं आगे


समझें ये तीन संकेत- 

  • अगर आपका कोई करीबी व्यक्ति जो आपसे बहुत बात करता हो और वो एक साथ चुप हो जाए या आप दोनों के बीच स्थिति सामान्य नहीं हो तो सकता है कि उसे किसी बात से तकलीफ पहुंची हो।
  • सामने वाले की बातों को समझना एक अच्छी बात है लेकिन हर बात को चुपचाप मान लेना या फालतू की बहस या टकराव में नहीं पड़ना अच्छा संकेत नहीं है। हो सकता है कि सामने वाला आपके इस व्यवहार को नाराजगी का नाम दे दे।
  • पीठ पीछे आलोचना करने और करवाने से बचें। अगर आपको पता चले कि आपके करीबी व्यक्ति ने आपकी पीठ पीछे बुराई की है या कुछ नकारात्मक शब्द बोले हैं तो उससे विनम्रता पूर्वक बात करें। यह स्थिति तब बन सकती है जब आप अपनी आलोचना सुनना बर्दाश्त ना कर पाते हों।

अपने पर भी दे ध्यान- 


जरूरी नहीं है कि जब भी संबंध टूटें तो सामने वाले की ही गलती हो। कई मामलों में हम खुद भी गलत होते हैं। अधिकतर ऐसा होता है कि हम बिना स्थिति को समझते हुए किसी एक पक्ष को जिम्मेदार मान लेते हैं। हम यह भी नहीं सोचते कि उसने अगर ऐसा किया भी है तो किन हालात में आकर किया होगा। यह गौर करने वाली बात है कि सामने वाले की प्रतिक्रिया ऐसी क्यों हुई। अगर आपको पता चले कि आपने ओवररिएक्ट किया है तो ऐसे में अपनी गलती मान कर माफी मांगने में कोई हर्ज नहीं है। अगर आपके और आपके साथी के बीच बार-बार ऐसी स्थिति बन रही है तो इस पर विचार करने की जरूरत है। अगर जरूरत लगे तो खुद में सुधार के लिए तैयार रहें।

दूसरों को सुधारने की आदत न डालें

दूसरे में गलती ढूंढना भी एक बड़ा कारण है। अधिकतर लोगों की आदत होती है कि वह खुद को सही और सामने वाले को गलत साबित करने पर उतारू रहते हैं। लेकिन ऐसा करना गलत आदत है। हर किसी के मन में एक फ्रेम बना होता है उस फ्रेम में अगर कोई इंसान फिट नहीं बैठता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह इंसान गलत है। ऐसे में सामने वाले को खुद को समझने का मौका दें और कोशिश करें खुद को उसके अनुरूप ढालने की। यह अपेक्षा ना करें कि सामने वाला आपके रंग में ढ़लेगा। 


व्यक्ति का सम्मान करना है जरूरी

रिश्ता कोई भी हो टूटने का कारण कहीं ना कहीं टकराव है। क्या आपने सोचा है कि टकराव क्यों होता है। हो सकता है इसके पीछे आपके कटु वचन रहे हो। ऐसे में ऐसे शब्दों का चुनाव करें जिससे सामने वाले का मान सम्मान को ध्यान में रखकर बोला गया शब्द कभी भी चुभेगा नहीं।