अनोखी आवाज नई दिल्ली। सरकार के साथ कई दौरों की बातचीत और सुप्रीम कोर्ट के दखल के बावजूद किसान आंदोलन फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा है। दूसरी तरफ, विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार पर इस कानून को लेकर हमले कर रही हैं और इस बिल को किसान विरोधी तथा कॉरपोरेट घरानों के फायदे वाला बता रही है। इसके जवाब में केंद्र सरकार का कहना है कि विपक्षी पार्टियां किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रही हैं, जबकि वे खुद सालों से एपीएमसी ऐक्ट को हटाने या संशोधन करने के पक्षधर रही हैं। तो क्या सच में विपक्षी पार्टियां सिर्फ विरोध की खातिर अब अपने ही वादे से पलट रही हैं?
पंजाब चुनाव से पहले AAP ने भी किया था APMC में संशोधन का वादा
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के लाए तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। केजरीवाल का भी आरोप है कि ये तीनों बिल किसान विरोधी हैं और कुछ बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से लाए गए हैं। बिलों का विरोध करने के लिए उन्होंने दिल्ली विधानसभा का एक दिन का सत्र बुलाया और अपने विधायकों के साथ कृषि कानूनों की कॉपियां फाड़ीं।
कांग्रेस ने किया था APMC वापस लेने/ संशोधन का वादा
राहुल गांधी नए कृषि कानूनों को 'अदानी-अंबानी कृषि कानून' का नाम दे चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार ने ये कानून देश के बड़े उद्योगपतियों को नफा पहुंचाने के लिए बनाए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले जारी अपने घोषणापत्र में जनता से वादा किया था कि वह अग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी ऐक्ट (APMC) को खत्म कर देगी।