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SINGRAULI- आखिर ऐसे में कैसे होगा बेड़ा पार..? एक वर्ष बीतने को जिलाध्यक्ष का कार्यकाल लेकिन कार्यकारणी का नही हो सका विस्तार

आश्वाशन के सहारे और कब तक...? फैलने लगा असंतोष



नोखी आवाज़ न्यूज़। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय द्वारा समय सीमा से पहले शीर्ष कांतदेव सिंह को अध्यक्ष पद से साइड करते हुए सिंगरौली जिले की पार्टी की कमान वीरेंद्र गोयल के हाथों में दी थी और उम्मीद जताई थी कि पार्टी संगठित होकर कार्य करेगी लेकिन धीरे-धीरे शीर्ष नेताओं के उम्मीदों पर पानी सा फिरता दिख रहा है संगठित करने की बात तो दूर रही कार्यकारणी का अभी तक विस्तार तक नही हो पाया है। ज्ञात हो कि यदि दोनों कार्यकाल को शामिल कर लिए जाए तो 1 वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन कार्यकारणी के नाम पर कार्यकर्ताओं को हसीन सपने दिखाए जा रहे है ये सपने न जाने कब हकीकत में बदलेंगे लेकिन अब धीरे-धीरे कार्यकर्ताओ में असंतोष व्याप्त होने लगा है कही ऐसा न हो कि लॉलीपॉप के प्रति मोहभंग हो जाये और अन्य लोगो की तरह अध्यक्ष के प्रति  बागी स्वर अपना ले।



1 वर्ष बीते लेकिन कार्यकारिणी का पता नही


 


जिले में पार्टी की कमान संभाले वीरेंद्र गोयल को एक वर्ष बीतने को है लेकिन अभी तक कार्यकारणी  विस्तार पर ब्रेक लगा है। बिना कार्यकारणी के कार्यकर्ताओ में कार्य करने का उत्साह दिखाई नही दे रहा है। कई लोगो को आश्वस्त किया गया है कि कार्य करते रहे कही जगह दिया जाएगा लेकिन ऐसे लोगो की एक लंबी फेहरिस्त है जिन्हें पद की अभिलाषा है कितने लोगों को पद से संतुष्ट कर पाएंगे अध्यक्ष..? कही ऐसा न हो कि कार्यकारणी के विस्तार के बाद कुछ और विरोध के स्वर न उठने लगे। 


लॉलीपॉप के सहारे कब तक..?


भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की कार्यकारणी का विस्तार भी लगभग हो चुका है कुछ नियुक्तियां बाकी है अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर तक सारी नियुक्तियां पूर्ण हो जाएगी। क्योंकि प्रदेश में पंचायती और नगरी निकाय चुनाव होने है ऐसे में भाजपा संगठन में जिम्मेदारियों का होना महत्वपूर्ण है। ऐसे में सिंगरौली जिले में भी इस बार का नगरी निकाय चुनाव में कांटे का मुकाबला होने के कयास लगाए जा रहे है। ऐसे में भाजपा की अभी कार्यकारिणी का विस्तार ही नहीं हो सका है।फिर चुनावी दंगल में मुकाबला कैसे होगा..? हालाकि जिलाध्यक्ष कि कार्य प्रणाली  को देखते हुए नहीं लगता कि अभी कुछ दिनों तक कार्यकारिणी का विस्तार होने वाला है। विस्तार न होने के कारण शीर्ष नेतृत्व हो या फिर जिले में आपसी तालमेल की कमी। वजह चाहे जो हो लेकिन कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है वही दूसरी और कुछ कार्यकर्ताओं में असंतोष भी व्याप्त हो रहा है।