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मध्‍य प्रदेश में भाजपा सरकार सुरक्षित होने से सपा-बसपा विधायकों में बढ़ी बेचैनी

 



उपचुनाव से पहले तक भाजपा और कांग्रेस के लिए बेहद खास रहे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के विधायक इन दिनों पसोपेश में हैं। उपचुनाव में सत्ता के समीकरण में अपनी भूमिका को महत्वपूर्ण मान रहे यह विधायक भाजपा सरकार सुरक्षित होने के बाद से खुद को हाशिये पर महसूस कर रहे हैं। उनकी बेचैनी की वजह यह है कि भाजपा अब अपने दम पर सत्ता में है। हालांकि भाजपा की ओर से सभी को साथ लेकर चलने का भरोसा दिलाया जा रहा है।


उपचुनाव में भाजपा ने 19 सीटें जीतकर विधानसभा में अपनी सदस्य संख्या 126 कर ली है। यह संख्या बहुमत के आंकड़े 115 (एक सीट रिक्त) से काफी अधिक है। उपचुनाव से पहले तक सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों की काफी मान-मनौव्वल की गई, लेकिन अब भाजपा अपने दम पर सरकार में है तो इन विधायकों को खुद के उपेक्षित होने का डर है।


हाल ही में बसपा से विधायक रामबाई ने अगला चुनाव भाजपा से लड़ने की मंशा जताकर भाजपा संगठन के करीब जाने का प्रयास किया है। बसपा के ही एक अन्य विधायक संजीव कुशवाह ने उपचुनाव में मतदान से पहले भाजपा को ही समर्थक देने की बात कहकर अपनी स्थिति सुरक्षित करने का प्रयास किया था। उस समय जितनी पूछपरख थी, अब वह लगभग खत्म हो गई है। मालूम हो, रामबाई इस समय बसपा से निलंबित चल रही हैं।


 



पुराने साथ पर आगे के सहयोग का भरोसा


यही स्थिति समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला की भी है। वे कहते हैं कि हमने भाजपा का मुश्किल दौर में साथ दिया था, इसलिए पूरा भरोसा है कि हमारा भी ध्यान रखा जाएगा। शुक्ला भी पार्टी से निलंबित हैं। वहीं, निर्दलीय विधायकों का कहना है कि वक्त तो बदला है। राजनीति में अवसर का ही महत्व है। अब भाजपा अपने दम पर है तो निश्चित तौर पर पहले जैसी आवभगत में कमी तो आएगी ही।


 



इनका कहना


भाजपा की सरकार सबका साथ-सबका विकास में भरोसा करती है। जिन विधायकों का समर्थन भाजपा को है, निश्चित तौर पर उनके विधानसभा क्षेत्र के विकास को लेकर कोई बात आती है तो पूरी चिंता की जाएगी।


डा. दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा, मप्र