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singrauli- डीबीएल जीएम के तानाशाही रवैए के खिलाफ बड़े आंदोलन की आवश्यकता..?

 



आए दिन गोली चलने की बात आ रही सामने,जिला प्रशासन कार्यवाही के लियें नहीं जुटा पा रहा हिम्मत...?


कंपनी की भाषा बोल रही पुलिस, मुँह में दही जमाये बैठे नेता


अनोखी आवाज सिंगरौली। दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड एनसीएल की विभिन्न परियोजनाओं में ओबी हटाने का काम कर रही है। जो आए दिन कर्मचारियों की तानाशाही रवैया के कारण सुर्खियों में बनी रहती है। लेकिन प्रशासन ना जाने क्यों कार्यवाही करने की जहमत नहीं जुटा पा रहा है। कभी कर्मचारियों को निकालना तो कभी गोली चलना जैसे कृत्यों के बाद भी जिले के सफेद पोशाक धारी मुंह में दही जमा कर बैठे हैं। समझ नहीं आता है की ऐसी अंधेरी गर्दी का आलम कब तक चलता रहेगा....?



डीबीएल के खिलाफ बड़े आंदोलन की आवश्यकता..? 


डीबीएल प्रबंधन खासकर निगाही जीएम समीर घोष के उसके तानाशाही रवैया से लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त हो रहा है। बीते दिवस गोली कांड मामले के बाद लोगों में समीर घोष के प्रति अंदर ही अंदर आग की ज्वाला धधक रही है। ना जाने यह ज्वाला कब ज्वालामुखी बनकर ब्लास्ट हो जाए यह कोई नहीं जानता। हालांकि डीबीएल निगाही के जीएम का जनता के प्रति जिस तरह का रवैया है उसे देखकर तो लगता है कि अब जल्दी ही बड़ा आंदोलन की आवश्यकता है।


डीबीएल में गोली कांड..?



डीबीएल के निगाही परियोजना के जीएम समीर घोष कर्मचारियों के प्रति तानाशाही रवैया के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। प्रशासन द्वारा समय रहते कोई ठोस कदम उठाना होगा या तो ऐसे लोगों को यहां से हटाना उचित होगा। ज्ञात हो कि बीते 1 हफ्ते में दो बार डीबीएल निगाही में गोली चलने की खबरें आई। हालांकि पुलिस ने इस तरह की खबरों की पुष्टि नहीं की लेकिन फरियादी चीख-चीख कर बोल रहे हैं की गोली चली है। अब कौन सही, कौन झूठ है..? ये तो जांच पड़ताल के बाद ही पता पता चलेगा। लेकिन एक बात तो तय है कि जीएम समीर घोष को तत्काल प्रभाव से हटाया जाना उचित होगा।


कंपनी की भाषा बोल रही पुलिस,नेताओं ने साधी चुप्पी


दिलीप बिल्डकॉन नें जब से काम करना शुरू किया है। तभी से मामला गर्म है। आए दिन किसी न किसी बात को लेकर इनके अधिकारी सुर्खियों में रहते हैं। कभी पैसे लेकर नौकरी देना..? तो कभी गोली चलवाना..?  हालांकि सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि पुलिस और नेता यदि बोलतें है तो कंपनी की भाषा। इसके पीछे मजबूरी कहे या उच्च राजनीति दबाव।  वजह चाहे जो हो लेकिन एक बात तो तय है कि जिला प्रशासन को गंभीरता दिखाते हुए आगे आना होगा और एनसीएल प्रबंधन से बात कर डीबीएल में चल रहे तानाशाही पूर्ण रवैया पर विराम लगाना होगा। साथ ही निगाही जीएम समीर घोष को हटाकर कार्यवाही करनी होगी। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन ऐसे लोगो पर क्या  एक्शन लेता है..?



शेष अगले अंक में...खरी-खरी में पढ़ेंगे नीरज द्विवेदी के साथ



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