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ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन कई घंटे हो रही अघोषित बिजली कटौती

किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें, पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं

 

 


 

अनोखी आवाज सिंगरौली।जिले में बिजली की लगातार आंख मिचौली होती थी तो दिग्गी राजा की याद आती थी, लेकिन इन दिनों प्रदेश में मामा बैठे हैं, फिर भी बिजली की अघोषित कटौती से न केवल शहर में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी हाहाकार मचा हुआ  हैं।

शहर में तो तमाम बड़े नेताओं का आलीशान महल है बिजली गुल होते ही जिम्मेदारों को फोन की झड़ी लग जाती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का हाल जुदा है। वहां ज्यादातर किसान व गरीब निवास करते हैं जिनका कोई सुनने वाला नहीं हैं।

लिहाजा ग्रामीण बिजली की अघोषित कटौती से हलाकान है। विधायक, सांसद को ग्रामीण कई बार लिखित, मौखिक शिकायत करते हैं लेकिन परिणाम कुछ खास निकलकर आज तक सामने नहीं आया हैं।

 

अंधेरे में कटती है रात

 

पढ़ने वालों को थोड़ा अजीब लग सकता है कि भला ऐसे कैसे हो सकता है। यहां तो कई पावर प्लांट हैं यहां की बिजली से कई अन्य राज्य जगमग हो रहे हैं लेकिन यहां ऐसा ही है, "दिया तेल अंधेरा"

ग्रामीण क्षेत्रों में कई घंटे अंधेरा छाया रहता है बिजली की अघोषित कटौती से ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है और शिवराज मामा को कोसने लगे हैं।

 

कोई नहीं सुनने वाला किसे सुनाए पीड़ा ..?

 

सत्ता-विपक्ष सहित तमाम सफेद पोषाकधारी शहर में अपना ठिकाना बना कर रखे हैं। ग्रामीणों से कोई विशेष वास्ता नही है। ग्रामीणों की याद केवल चुनाव में आती है।

चुनाव के बाद नेता गांव में झांकने तक नहीं जाते कौन जिंदा है कौन मर गया ..? फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बिजली की कटौती हो रही है। समझ नहीं आता बेबस ग्रामीण अपनी पीड़ा किसे सुनाएं। कौन इनके दर्द पर मरहम लगाएगा।