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CWC की बैठक आज, गांधी परिवार के बाहर का कोई भी अध्यक्ष कांग्रेस के ‘अच्छे दिन’ नहीं ला सकता- कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी

 



लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पत्र लिखने वाले 23 कांग्रेसी नेताओं पर कहा कि वो कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में अपनी चिंता जाहिर कर सकते थे। द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कांग्रेसी सांसदों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के इतिहास में, गैर-गांधीवादियों ने भी पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला है और पार्टी ने हमेशा इसे प्रोत्साहित किया है। पीवी नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी इसके उदाहरण हैं। वास्तव में, (गांधी) परिवार के सदस्य के अलावा किसी ने भी कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल नहीं की है। हालांकि राव के बाद जब तक सोनिया गांधी ने बागडोर संभाली तब तक कांग्रेस खोई हुई जमीन को पाने में सफल नहीं हो सकी। हम इस वास्तविकता से इनकार नहीं कर सकते हैं। इसे समझने की जरुरत हैं।’


साथ ही उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी में क्षमता है और वो भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय गठबंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। गांधी परिवार के बाहर का कोई भी अध्यक्ष कांग्रेस के ‘अच्छे दिन’ नहीं ला सकता है। पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के केवल दो सांसदों में से एक और चार साल के लिए इसके राज्य प्रमुख चौधरी ने कहा कि यह कांग्रेस को कमजोर करने का ‘जानबूझकर किया गया प्रयास’ है और इस बात पर जोर दिया कि पार्टी गांधी परिवार के सुरक्षित हाथों में है।


सोनिया गांधी के इस्तीफे पर कांग्रेस ने कही ये बात


कांग्रेस की कई प्रदेश इकाइयों ने खुलकर सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सोनिया वर्किंग कमेटी की बैठक में अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकती हैं। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इससे इनकार कर दिया।



चौधरी ने कहा कि लाखों पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व पर नि:संदेह विश्वास है और पार्टी अध्यक्ष के ‘पद के साथ कोई और न्याय नहीं कर सकता है।’ कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य चौधरी ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में उन्हें अपना समर्थन भी जताया।


सीडब्ल्यूसी की बैठक से एक दिन पहले रविवार को सोनिया गांधी को 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने की जानकारी सामने आने के बाद पार्टी के भीतर एक सियासी बवंडर खड़ा हो गया और नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी दो खेमे में बंटी नजर आई। पार्टी का पूर्णकालिक और जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने एवं संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग करने वाले इस पत्र की खबर सामने आने के बाद चौधरी की टिप्पणी सामने आई है।