एकेडमी में पड़ा लाखों का कबाड़ एनसीएल कर्मी कर रहा था पार,
सिक्योरिटी ने दबोचा, लेकिन नही हुई कार्यवाही..?
मामला जयन्त परियोजना का,आये दिन सुर्खियों में रहता है एनसीएलकर्मी
अनोखी आवाज सिंगरौली। किताबों में एक पंक्ति पढ़ने को मिला करती थी संतोषम परम सुखम....अर्थात जितना है सन्तोष कऱ सुखी रहना चाहिए। लेकिन अब संसार में सन्तोष का अर्थ विपरीत हो गया है। जो जितना संपन्न है वही लालच कर सोच रहे हैं कि अधिक संपत्ति व धन अर्जित कर लें। पढ़कर आपके मन में तरह-तरह सवाल उठ रहे होंगे सत्यता जानने के लिए इच्छुक होंगे। सत्य थोड़ा हैरान करने वाला है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जयंत परियोजना अंतर्गत खेल अकेडमी बना हुआ है,जिसमे बच्चों को रहने व खेलने के लिए बनाया गया है। जयंत परियोजना के एपी सिंह ने केंद्र के पुराने कबाड़ व लोहे के पार्ट को कबाड़ी से सेटिंग कर बिक्री करने के फ़िराक में थें लेकिन प्लान में पानी फिर गया। और जयन्त सिक्योरिटी ने पकड़ कर स्टोर में रखवा दिया। हालांकि मामले को चार दिवारी के अंदर दबाने का प्रयास किया गया लेकिन मामला सड़क तक आ गया,जिससे एनसीएल कर्मी की करतूत का भंडाफोड़ हो गया।
एनसीएल कर्मी कबाडी से सेटिंग कर पार करने की बना रहा रहा जुगाड़
दिन के उजालें में केंद्र से पुराने लोहे के उपकरण को कवाड़ी ने अपने साथी को भेजकर निकलवाने में जुट रहा। जानकारी के अनुसार एपी सिंह एनसीएल कर्मी ने पहले ही यूपी के नामचीन कबाड़ियों से सेटिंग कर रखी थी। लेकिन लालच ने उल्टा खेल खेल दिया। जयन्त सिक्योरिटी ने कबाड़ पकड़कर स्टोर भिजवाया और जिम्मेदार अधिकारी को सूचित किया। सिक्योरिटी के पहुचते ही एनसीएल कर्मी लाल पिला हो गया अंत मे मुँह छिपाते हुए माफी मांगने लगा। सवाल ये उठता है कि आखिर एनसीएल में रहकर एनसीएल को खोखला करने वालो पर कार्यवाही कब होगी...?
जिस थाली में खाया उसी में छेद करने की नीयत
एनसीएल की जयन्त परियोजना में कार्यरत एनसीएल कर्मी पूरी शानो शौकत के साथ रह रहा है लेकिन न जाने कहा से उसके मन मे लालच ने घर बना लिया और जानकरों की माने तो वर्षो से स्टोर में रखा लाखो का कबाड़ पार करने की मंशा से कबाडी को सुपुर्द करने की फिराक में था लेकिन जयन्त पुलिस और सिक्योरिटी ने सूझबूझ के साथ धर दबोचा हालांकि बताया जाता है कि काफी मिन्नतों के बाद सिक्योरिटी ने समझा बुझाकर उसे चेतावनी देते हुए छोड़ दिया लेकिन समझ नही आता कि उसी थाली में भोजन कर उसी को छेद करने की मंशा कैसे दिमाग में जग जाती है..और ऐसे लोगो पर कार्यवाही क्यो नही होती..? अब देखना यह होगा कि क्या ऐसे एनसीएल कर्मी पर कार्यवाही होती है या पुनः उसे छेद करने के लिए छोड़ दिया जाता है।