भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा मुद्दे पर तनाव जारी है। बताया जा रहा है कि दोनों देशों की सेनाओं ने तनाव को कम करने पर बात की है। हालांकि, इस पर अब तक कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। इस बीच कांग्रेस ने चीन मुद्दे को ठीक से न संभाल पाने के लिए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले जारी रखे हैं।
हालांकि, जहां एक तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी लगातार इस मामले में पीएम को घेर रहे हैं, वहीं कांग्रेस में ही एक धड़ा इसे ठीक नहीं मान रहा। बताया गया है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC की बैठक में पीएम मोदी को निशाना बनाने पर मतभेद उभर कर सामने आए हैं। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि लोगों के बीच इस बात की समझ है कि सरकार ने चीन के साथ उपजी स्थिति को गलत तरह से हैंडल किया। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार की परिपक्व डिप्लोमेसी और निर्णायक लीडरशिप हमारी क्षेत्रीय अखंडता बचाने की सरकार की कोशिशों को ठीक से दर्शाएगी।
बैठक में मौजूद एक सूत्र के मुताबिक, चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के नेता आरपीएन सिंह ने कहा कि कांग्रेस को पीएम मोदी की नीतियों और खराब फैसलों पर हमले जारी रखने चाहिए, लेकिन उन पर कोई भी हमला निजी नहीं लगना चाहिए। आरपीएन सिंह के इस सुझाव पर राहुल गांधी काफी नाखुश दिखे। गौरतलब है कि राहुल लगातार अपने ट्वीट के जरिए पीएम मोदी का घेराव कर रहे हैं।
सूत्र के मुताबिक, आरपीएन सिंह के इस सुझाव पर राहुल गांधी ने कहा कि वे मोदी से नहीं डरते हैं, लेकिन सीडब्ल्यूसी जो फैसला लेगी वे उसी पर अमल करेंगे। राहुल ने खुद को कांग्रेस का सिपाही बताते हुए कहा कि वे पार्टी लाइन से अलग कुछ भी नहीं करेंगे।
बताया गया है कि मीटिंग में मौजूद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि राहुल गांधी अकेले ही मोदी को घेर रहे हैं और बाकी नेताओं को भी इस काम में उनका साथ देना चाहिए। प्रियंका का यह बयान पिछले साल लोकसभा चुनाव में हार के ठीक बाद दिए राहुल के उस बयान की तरह ही जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी के कई नेताओं ने पीएम के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ अभियान में उनका साथ नहीं दिया। दूसरी तरफ बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और आनंदर शर्मा ने कहा कि पीएम मोदी की आलोचना जरूरी है, क्योंकि वे सरकार के साथ एक पार्टी के भी नेता हैं और 6 सालों में उन्होंने एक केंद्रीयकृत और तानाशाही ढांचा खड़ा कर लिया है। पटेल ने कहा कि पीएम पर हमले के वक्त पार्टी नेताओं की जुबान ज्यादा तीखी नहीं होनी चाहिए, कुछ अन्य नेताओं ने भी पटेल का साथ देते हुए कहा कि पीएम की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं बोला जाना चाहिए।